Paliament

  • सवाल जहां के तहां

    दुर्भाग्यपूर्ण है कि संसद में लंबी चर्चा और उस पर सरकार के जवाब के बाद भी गंभीर एवं महत्त्वपूर्ण प्रश्न अब अनुत्तरित बने रह जाते हैं। बहसें दोनों पक्षों के बीच आरोप- प्रत्यारोप का मौका भर बन कर रह जाती हैं। लोकसभा में ऑपरेशन सिंदूर पर दो दिन की गरमागर्म बहस के बावजूद वे सवाल जहां के तहां हैं, जो मई में चार दिन तक चली इस लड़ाई के दौरान उठे थे। देश को आज भी यह आधिकारिक रूप से मालूम नहीं है कि क्या 6-7 मई की रात भारत के लड़ाकू विमान गिरे, ऑपरेशन सिंदूर अपना मकसद को साधने...

  • मानसून सत्र में क्या विपक्ष जिम्मेदार दिखेगा?

    संसद में कामकाज को लेकर एक प्रक्रिया तय है। संसद की कार्य मंत्रणा समिति में तय किया जाता है कि कौन से मुद्दे उठाए जाएंगे, किन मुद्दों पर चर्चा होगी, चर्चा कितनी देर चलेगी, किस विषय पर सिर्फ चर्चा होगी और किस विषय पर चर्चा के बाद मतदान होगा आदि। कार्य मंत्रणा समिति की बैठक पीठासीन अधिकारियों के साथ साथ पक्ष और विपक्ष के सांसद मौजूद रहते हैं। वहां सहमति के साथ विषय और चर्चा का तरीका तय होना चाहिए। दुर्भाग्य से विपक्षी पार्टियां कार्य मंत्रणा समिति की बैठक में बनी सहमति का भी ध्यान नहीं रखती हैं। सुनील सरावगी...