panauti

  • यह कैसा विमर्श है!

    देश की हर सफलता और विफलता को किसी एक व्यक्ति की किस्मत से जोड़ा जाने लगे, तो यह समझना चाहिए कि देश विवेकहीनता का शिकार हो चुका है। व्यवस्था अगर सचमुच ‘लोकतंत्र है’, तो वहां चुनाव वास्तविक मुद्दों पर लड़ा जाना चाहिए। नरेंद्र मोदी 2014 में प्रधानमंत्री बने और तभी अंतरराष्ट्रीय बाजार में कुछ ऐसी घटनाएं हुईं कि कच्चे तेल की असामान्य रूप से गिर गई। सोशल मीडिया पर इसे मोदी की अच्छी किस्मत बताया गया। तब खुद प्रधानमंत्री ने इसे राजनीतिक चर्चा का हिस्सा बना दिया। 2015 के दिल्ली विधानसभा चुनाव के दौरान उन्होंने कहा था कि अगर उनकी...