अब तो खुला खेल है
प्रसार भारती के ताजा निर्णय से कोई व्यावहारिक फर्क तो शायद ही पड़ेगा, लेकिन इससे यह साफ हुआ है कि देश में अलग-अलग दृष्टियों की उपस्थिति की जरूरत नहीं समझी जा रही है। वैचारिक विभिन्नताओं के सम्मान के माहौल को लगातार सिकोड़ा जा रहा है। प्रसार भारती ने अपने सूचना स्रोत के लिए हिंदुस्थान समाचार नाम की एजेंसी का चयन किया, इसे सूचना स्रोतों को विविध बनाने की प्रक्रिया के हिस्से के रूप में देखा जा सकता था। लेकिन ऐसा देश की सबसे मशहूर समाचार एजेंसी पीटीआई से करार रद्द करने की कीमत पर किया गया। मतलब यह कि अब...