RSS vs BJP

  • रोजमर्रा की राजनीतिक में आरएसएस का एजेंडा

    राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ, आरएसएस लगातार कहता रहा है कि उसका राजनीति से कोई लेना देना नहीं है और वह राष्ट्र निर्माण के लिए काम करने वाला एक सांस्कृतिक संगठन है। परंतु ऐसा लग रहा है कि पिछले कुछ दिनों से रोजमर्रा की राजनीतिक घटनाओं में उसकी भागीदारी बढ़ गई है। नीतिगत मसलों पर बंद कमरे में विचार करने और चुपचाप उस पर अमल करने की बजाय संघ का विचार विमर्श रोजमर्रा की राजनीतिक घटनाओं पर ज्यादा हो रहा है। उत्तर प्रदेश से लेकर झारखंड और अब केरल में संघ की जो बैठकें हुई हैं उनके एजेंडे पर नजर डालें तो...

  • संग्राम सत्रहवें दिन में आ पहुंचा है

    नरेंद्र भाई हवा का रुख भांप गए थे कि स्पष्ट बहुमत हासिल नहीं कर पाने की दलील दे कर आरएसएस इस बार उन्हें प्रधानमंत्री नहीं बनने देगा। सो, उन्होंने भाजपा संसदीय दल की बैठक ही नहीं होने दी और एनडीए के सहयोगी दलों से समर्थन की चिट्ठियां इकट्ठी कर ख़ुद को ख़ुद ही प्रधानमंत्री नामित कर लिया। अनुचरों ने पूरी निर्लज्जता से इसे ‘मोदी-3.0’ का ख़िताब दे दिया और हमारे नरेंद्र भाई ने इसे ‘एनडीए की निरंतरता’ के ज़ुमले से नवाज़ दिया। सोचिए कि अगर नरेंद्र भाई मोदी का जन्मदाता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ही जब दस बरस की उन की...