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  • बचत से कर्ज की ओर बढ़ रहा है भारत

    भारत के प्राचीन दर्शन में कर्ज लेकर घी पीने की सलाह देने वाले ऋषि भी हुए हैं। कर्ज की मय पीकर फाकामस्ती के रंग लाने की उम्मीद पालने वाले शायर भी हुए। लेकिन भारत के लोगों ने कभी भी कर्ज लेकर घी या मय पीने को जीवन का सिद्धांत नहीं बनाया। इसकी बजाय भारत मितव्ययिता को जीवन का सार मानने वाला देश रहा। लघु बचत के मामले में भारतीयों का जवाब नहीं है। तभी जब 2008 में दुनिया भर में मंदी आई, जिसे अमेरिका के सब प्राइम क्राइसिस के नाम से जाना जाता है तो भारत पर उसका कोई असर...