यह प्रतिमान ना बनाएं
न्यायपालिका से अपेक्षा उदात्त अंतरराष्ट्रीय प्रतिमानों के अनुरूप व्यवस्था देने की होती है, ताकि समाज उत्तरोत्तर लोकतांत्रिक होने की ओर अग्रसर हो सके। उससे अपेक्षा उसूलों की संकुचित परिभाषा करने की कोशिशों पर रोक लगाने की होती है। विनायक दामोदर सावरकर के लिए कथित अपमानजनक टिप्पणी के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी को फटकार लगाते हुए अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का जो दायरा तय किया है, वह परेशानी का शबब है। इसलिए नहीं कि कांग्रेस नेता ने जो टिप्पणी भारत जोड़ो यात्रा के दौरान की थी, वह उचित है। उस बारे में अंतिम निर्णय तो अभी न्यायालय में विचाराधीन...