तमिलनाडु में स्टालिन को चुनौती
अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले एमके स्टालिन की सत्ता निरापद दिख रही थी। ऐसा लग रहा था कि केंद्र सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल कर वे दक्षिण भारत की बुलंद आवाज बने हैं और तमिलनाडु के हितों को संरक्षित करने वाले मसीहा के तौर पर स्थापित हुए हैं। वे तमिलनाडु की संस्कृति और भाषा के भी स्वंयंभू रक्षक के तौर पर उभरे हैं। उन्होंने हिंदी का विरोध किया। उनके बेटे ने सनातन का विरोध किया। उन्होंने मेडिकल में दाखिले के लिए होने वाली नीट की परीक्षा का विरोध करके स्थानीय छात्रों के हितों को बचाने का संकल्प...