पर गाजा की कहानी नहीं बदलेगी!
यों कहानी कुछ नहीं बदलेगी। यदि कुछ बदलेगा भी तो बस इतना कि दुनिया और गहरी अनिश्चितता में धंस जाएगी। ब्रिटेन, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया तीनों ने दुर्लभ सामंजस्यता में फ़िलीस्तीन को एक राष्ट्र के रूप में मान्यता देने की नैतिक तत्परता दिखाई है। इसकी घोषणा के समय का चुनाव, बेशक, बहुत कुछ कहता है: मान्यता उस वक़्त आई है जब ग़ाज़ा राख में बदल चुका है, जब वहां बचाने लायक़ सिर्फ़ उसकी जनता की उम्मीदों की स्मृति ही बची है। ब्रिटेन की सहानुभूति तो और भी विडंबनापूर्ण है। ज़्यादा समय नहीं हुआ जब उसके प्रधानमंत्री ने इजराइल के इस “अधिकार”...