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  • विदर्भः यह चुनाव व्यक्तियों में चुनने का चुनाव!

    विदर्भ (दस सीटे) में बड़ी संख्या में, सभी जातियों के लोग उद्धव ठाकरे और शरद पवार के प्रति सहानुभूति रखते है। खासकर अधेड़ और बुजुर्ग और इस या उस राजनैतिक विचारधारा के प्रति प्रतिबद्ध जनसामान्य, उद्धव ठाकरे और शरद पवार के साथ जो हुआ, उससे दुखी और खफा प्रतीत होते हैं। नागपुर से श्रुति व्यास नागपुर। सूरज के तेवर जैसे-जैसे गर्म हो रहे हैं, वैसे-वैसे राजनीतिक गर्मी भी बढ़ रही है।मतदान के दूसरे चरण से पहले ही चुनाव प्रचार भावनात्मक मुद्दों ने तूल पकड़ लिया है। भाषण वे हो गए है जिसकी तल्खी का असर जमीन पर भी दिखने लगा...

  • प्रकाश अम्बेडकर है तो भाजपा क्यों न जीते!

    अकोला से श्रुति व्यास अकोला। यूपी में मायावती है तो विर्दभ में प्रकाश अम्बेडकर है। और फिर अकोला में खुद प्रकाश अम्बेडकर खड़े है अपनी वंचित बहुजन विकास आघाडी से। 2019 में भी अम्बेडकर उम्मीदवार थे। उन्हे कोई पौने तीन लाख वोट (25 प्रतिशत) मिले। कांग्रेस उम्मीदवार को ढाई लाख (22.7 प्रतिशत) वोट, वही भाजपा के संजय धोत्रे को साढे पांच लाख वोट (49.5 प्रतिशत) वोट मिले और वे मजे से जीते। उस नाते अकोला में संस्पेंस नहीं है। भाजपा ने परिवादवाद में चार बार सांसद रहे संजय धोत्रे के पुत्र अनूप धोत्रे को उम्मीदवार बनाया है। सवाल है राजनीति...

  • कन्फ्यूजन ही कन्फ्यूजन!

    चुनाव 2024, ग्रांउड रिपोर्ट- विदर्भ से श्रुति व्यास वर्धा। ‘बहुत कन्फ्यूजन है' यह बात महाराष्ट्र में नागपुर से 85 किलोमीटर दूर वर्धा में हर जगह सुनाई दी। और इसी 26 अप्रैल को वर्धा में वोट पडने है। ‘कन्फ्यूजन’ का कारण है कि लोगों को यह समझ नहीं आना कि वे भाजपा से दो बार के सांसद रामदास तड़स और एनसीपी (शरद पवार) के उम्मीदवार अमर काले में से किसे चुनें?  यह कन्फ्यूजन और दिलचस्प इसलिए है क्योंकि इसमें जाति, पवार की पार्टी के नए चुनाव चिन्ह और मोदी चाहिए बनाम मोदी नहीं चाहिए जैसी दुविधाएंगंभीर है। पुलगांव की महिला व्यवसायी शिल्पा...