नई दिल्ली। अब इस बात पर आधिकारिक मुहर लग गई है कि बीता हुआ साल यानी 2023 अब तक के इतिहास का सबसे गर्म साल रहा। कम से कम एक लाख साल में कोई वर्ष इतना गर्म नहीं रहा है। यूरोपीय संघ की जलवायु निगरानी सेवा ने मंगलवार को कहा कि 2023 रिकॉर्ड स्तर पर सबसे गर्म साल था, जिसमें पृथ्वी की सतह 19वीं सदी के अंत के तापमान से 1.5 डिग्री सेल्सियस की सीमा को लगभग पार कर गई थी।
कॉपरनिकस क्लाइमेट चेंज सर्विस यानी सी3एस की उप प्रमुख सामंथा बर्गेस ने कहा- ये पहला साल है, जब सभी दिन पूर्व औद्योगिक काल की तुलना में एक डिग्री से अधिक गर्म थे। 2023 के पूरे साल के दौरान का तापमान कम से कम पिछले एक लाख साल में किसी भी अवधि से अधिक होने की संभावना है। गौरतलब है कि दुनिया के देश 1.5 डिग्री तापमान की सीमा नहीं टूटने के लिए तमाम उपाय कर रहे हैं। कार्बन उत्सर्जन कम करने के प्रयास हो रहे हैं लेकिन यह नहीं कहा जा सकता है कि इसमें कोई बड़ी कामयाबी मिली है या इस साल या आने वाले साल का तापमान 2023 से कम होगा। 2024 उससे भी ज्यादा गर्म हो सकता है।
बहरहाल, यूरोपीय संघ की जलवायु एजेंसी ने बताया है कि पिछले साल महीने दर महीने जलवायु रिकॉर्ड बार-बार टूट रहा था। जून के बाद से हर महीना पिछले वर्षों के इसी महीने की तुलना में रिकॉर्ड पर दुनिया का सबसे गर्म महीना रहा है। रिपोर्ट के अनुसार सी3एस के निदेशक कार्लो बूनटेम्पो ने कहा है- जलवायु की दृष्टि से यह एक बहुत ही असाधारण वर्ष रहा है। अपने आप में, अन्य बहुत गर्म वर्षों की तुलना में भी। बूनटेम्पो ने कहा कि जब पेड़ के छल्लों और ग्लेशियरों में हवा के बुलबुले जैसे स्रोतों से प्राप्त पेलियोक्लाइमैटिक डेटा रिकॉर्ड के आधार पर जांच की गई, तो इसके पिछले एक लाख वर्षों में सबसे गर्म वर्ष होने की बहुत संभावना है।
बीते हुए साल यानी 2023 में औसतन पृथ्वी 1850-1900 ईस्वी यानी पूर्व औद्योगिक काल की तुलना में 1.48 डिग्री सेल्सियस अधिक गर्म थी। गौरतलब है कि 20वीं सदी के शुरू में ही मनुष्यों ने औद्योगिक पैमाने पर जीवाश्म ईंधन जलाना शुरू किया, जिससे वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ी। बहरहाल, 2015 के पेरिस समझौते में देशों ने ग्लोबल वार्मिंग को 1.5 डिग्री सेल्सियस से अधिक होने से रोकने की कोशिश करने पर सहमति जताई गई थी, ताकि इसके सबसे गंभीर परिणामों से बचा जा सके।