नई दिल्ली। कतर में कथित तौर पर जासूसी के आरोप में मौत की सजा पाए आठ पूर्व भारतीय नौसैनिकों को जिंदगी मिल गई है। भारत की अपील पर वहां की एक अदालत ने फांसी की सजा पर रोक लगा दी है। अब सजा ए मौत की जगह इन भारतीयों को जेल में रहना होगा। विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को इसकी पुष्टि की है। कतर की कोर्ट ऑफ अपील ने गुरुवार को फैसला सुनाया था। विदेश मंत्रालय ने कहा- फैसले के ब्योरे का इंतजार है। इसके बाद ही अगले कदम पर विचार किया जाएगा।
गुरुवार को हुई सुनवाई के दौरान कतर के भारतीय राजदूत अदालत में मौजूद थे। उनके साथ सभी आठ पूर्व नौसैनिकों के परिवार के सदस्य भी थे। भारत ने इस सुनवाई के लिए स्पेशल काउंसिल नियुक्त किए थे। हालांकि, फैसले की विस्तार से जानकारी अभी नहीं दी गई है। विदेश मंत्रालय की तरफ से इस बारे में लिखित बयान जारी किया गया है। इस बयान में भारतीय नागरिकों को मिली सजा ए मौत को जेल की कैद में बदले जाने की जानकारी दी गई है।
विदेश मंत्रालय ने बयान में कहा है- कतर की कोर्ट ऑफ अपील ने ‘दाहरा ग्लोबल केस’ में आठ पूर्व भारतीय नौसैनिकों की सजा में कमी कर दी है। फैसले के ब्योरे का इंतजार है। इसमें कहा गया- कतर में हमारे राजदूत और दूसरे अधिकारी अदालत में मौजूद थे। इसके अलावा सभी नौसैनिकों के परिजन भी वहां थे। हम अपने नागरिकों की हिफाजत के लिए शुरू से खड़े रहे हैं और आगे भी कौंसुलर एक्सेस सहित तमाम मदद दी जाएगी। इसके अलावा कतर प्रशासन के साथ इस मुद्दे पर हम बातचीत जारी रखेंगे।
गौरतलब है कि कतर में ‘कोर्ट ऑफ फर्स्ट इन्सटेंस’ ने इन भारतीयों को सजा ए मौत का आदेश दिया था। यह निचली अदालत होती है। अदालत का फैसला भी गोपनीय रखा गया, इसे सिर्फ आरोपियों की कानूनी टीम के साथ साझा किया गया। फैसले की जानकारी मिलने के बाद भारत सरकार और इन नौसैनिकों के परिवारों ने निचली अदालत के फैसले को कोर्ट ऑफ अपील यानी हाई कोर्ट में चुनौती दी गई। हाई कोर्ट ने गुरुवार को सजा ए मौत को सिर्फ सजा में बदल दिया। हालांकि, सजा की मियाद क्या होगी, इसकी जानकारी अभी नहीं दी गई है।
अब अगला कदम कतर की सर्वोच्च अदालत यानी कोर्ट ऑफ कंसेशन है। यह भारत के सुप्रीम कोर्ट की तरह है। इसमें जेल काटने की सजा को भी चुनौती दी सकती है। हो सकता है ये अदालत पूरी सजा ही माफ कर दे। इसके अलावा हर साल कतर के अमीर अपने जन्मदिन के मौके पर 18 दिसंबर को जेल में बंद कैदियों की सजा माफ करते हैं। सो, अगर अदालत से राहत नहीं मिलती है तो अगले साल अमीर सजा माफ कर सकते हैं।