nayaindia Drivers strike आठ राज्यों में ड्राइवरों की हड़ताल

आठ राज्यों में ड्राइवरों की हड़ताल

नई दिल्ली। केंद्र सरकार के बनाए नए हिट एंड रन कानून के विरोध में बस और ट्रक डाइवरों की हड़ताल का दायरा बढ़ता जा रहा है। हड़ताल के तीसरे दिन सोमवार को आठ राज्यों के ड्राइवर इस बेमियादी हड़ताल में शामिल हुए। ट्रक ड्राइवरों की हड़ताल से देश के कई हिस्सों में अभी से जरूरी चीजों की कमी दिखाई देने लगी है। छत्तीसगढ़ के बालोद और बेमेतरा में पेट्रोल और डीजल खत्म होने की अफवाह फैल गई, जिसकी वजह से सारे पेट्रोल पंपों पर भारी भीड़  जमा हो गई और अफरा-तफरी मच गई। राज्य के अंबिकापुर में ड्राइवरों ने सबसे व्यस्त चौराहे पर काफी देर तक चक्का जाम किया।

नए साल के पहले दिन आठ राज्यों- मध्य प्रदेश, राजस्थान, बिहार, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब और गुजरात में बस और ट्रक ड्राइवर हड़ताल पर रहे। गौरतलब है कि भारतीय न्याय संहिता, 2023 में हुए संशोधन के बाद हिट एंड रन के मामलों में दोषी ड्राइवर पर सात लाख रुपए तक का जुर्माना और 10 साल तक कैद का प्रावधान है। देश भर के ड्राइवर इसका विरोध कर रहे हैं। कई जगह ट्रक और बस ड्राइवरों की हड़ताल में ऑटो और टैक्सी ड्राइवर भी शामिल हुए हैं।

सोमवार को मध्य प्रदेश के भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर सहित कई शहरों में बसें नहीं चलीं। उधर राजस्थान में हड़ताल के समर्थन में आधे दिन प्राइवेट गाड़ियां भी नहीं चलीं। छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में ट्रक ड्राइवरों ने सड़क पर वाहन खड़े कर टायरों में आग लगा दी। बिहार की राजधानी पटना समेत राज्य के कई जिलों में भी ड्राइवरों ने प्रदर्शन किया। उत्तराखंड, पंजाब और उत्तर प्रदेश में ट्रक ड्राइवरों ने चक्का जाम किया।

ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस, एआईएमटीसी ने हिट एंड रन कानून को सख्त बनाने का विरोध किया है। संगठन के आह्वान पर ही चक्का जाम और हड़ताल शुरू हुई है। संगठन की अगली बैठक 10 जनवरी को होगी। इसमें फैसला किया जाएगा कि अगर सरकार उनकी मांगें नहीं मानती है, तो आगे क्या कदम उठाना है। एआईएमटीसी के अध्यक्ष अमृत मदान ने कहा कि हिट एंड रन कानून के पीछे सरकार का इरादा अच्छा है, लेकिन प्रस्तावित कानून में कई खामियां हैं। इन पर दोबारा सोचने की जरूरत है।

मदान ने कहा- देश की अर्थव्यवस्था में सबसे बड़ा योगदान परिवहन क्षेत्र और ट्रक चालकों का है। भारत इस समय वाहन चालकों की कमी से जूझ रहा है, लेकिन सरकार का इस ओर कोई ध्यान नहीं है। ऐसे में 10 साल की सजा के प्रावधान के बाद अब ट्रक ड्राइवर नौकरी छोड़ने को मजबूर हो गए हैं। गौरतलब है कि इस हड़ताल का आम आदमी पर सीधा असर देखने को मिलेगा। ट्रकों की हड़ताल होने से दूध, सब्जी और फलों की आवक नहीं होगी और कीमतों पर इसका बड़ा असर देखने को मिलेगा। पेट्रोल और डीजल की सप्लाई रुकने से लोकल ट्रांसपोर्ट और आम लोगों को आवाजाही में दिक्कत होगी।

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