नई दिल्ली। कथित तौर पर पैसे लेकर संसद में सवाल पूछने के आरोप में संसद सदस्यता गंवाने वाली तृणमूल कांग्रेस की नेता महुआ मोइत्रा को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने संसद से उनके निष्कासन के फैसले पर अंतरिम रोक लगाने से इनकार कर दिया। अदालत ने कहा कि महुआ का संसद से निष्कासन बना रहेगा। इस मामले में अगली सुनवाई 11 मार्च को होगी। गौरतलब है कि संसद के शीतकालीन सत्र में आचरण समिति की रिपोर्ट के आधार पर महुआ की लोकसभा की सदस्यता खत्म कर दी गई थी।
बहरहाल, बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि फिलहाल महुआ मोइत्रा को अंतरिम राहत नहीं दी जा सकती। अदालत ने यह भी कहा कि ये मामला इतना आसान नहीं है। इसके साथ ही अदालत ने महुआ की संसद की कार्यवाही में हिस्सा लेने की इजाजत देने की अर्जी को ठुकरा दिया। हालांकि सुप्रीम कोर्ट मोइत्रा के निष्कासन के खिलाफ अर्जी का परीक्षण करेगा। अदालत ने लोकसभा के महासचिव को नोटिस जारी कर मामले पर जवाब मांगा है। मामले पर अगली सुनवाई 11 मार्च को होगी।
गौरतलब है कि तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा को आठ दिसंबर को पेश की गई आचरण समिति की रिपोर्ट पर चर्चा के बाद लोकसभा से निष्कासित कर दिया गया था। महुआ मोइत्रा की तरफ से वकील अभिषेक सिंघवी बुधवार को कोर्ट में पेश हुए। सिंघवी ने कहा कि महुआ को केवल अपनी लॉगिन आईडी शेयर करने की वजह से निष्कासित किया गया है। उन्होंने कहा कि रिश्वत के आरोपों पर गौर करना होगा।
बहरहाल, सर्वोच्च अदालत महुआ मोइत्रा की अयोग्यता का परीक्षण करेगी। आदालत ने लोकसभा सचिव को नोटिस जारी कर मामले पर जवाब मांगा है। गौरतलब है कि महुआ ने संसद सदस्यता से अयोग्यता के फैसले को चुनौती दी है। इस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा- हम याचिका में उठाए गए मुद्दों की मेरिट पर फिलहाल टिप्पणी नहीं कर रहे। हम इन मुद्दों पर मामला खुला रख रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने मामले में जवाब देने के लिए लोकसभा महासचिव को तीन हफ्ते का समय दिया है। इसके बाद महुआ मोइत्रा को भी तीन हफ्ते में जवाब देना होगा।