कहानी कला की मास्टरक्लास है ‘एडोलसेंस’
समाज को समझना ये ज़रूरी है कि तकनीकी विकास होते रहेंगे और उपभोक्ताओं के ट्रेंड्स बदलते रहेंगे, यहां सबसे ज़रुरी है हमें अपने बच्चों में ऐसे मूल्य डालना कि उनके डिसिजन मेकिंग में संतुलन और मज़बूती हो। बच्चों और टीनएजर्स को अब 'ज्ञान' और 'उपदेश' देने वाले पेरेंट्स नहीं, बल्कि उनको प्यार और एम्पथी से समझ कर इमोशनल हॉट-स्पॉट शेयर करने वाले दोस्त चाहिए। बाक़ी वो ख़ुद संभाल लेंगे। 'एडोलसेंस', स्टोरीटेलिंग की एक ज़रूरी 'मास्टरक्लास' है। देख लीजिएगा। सिने-सोहबत सिनेमा हो या सीरीज़, दिल तक तभी उतर सकती है जब फ़िल्मकार उसमें ज़िंदगी की हक़ीक़त के साथ-साथ उसे बिना...