बांके-बिहारी के लिए भी बने कॉरिडोर
अनास्था और अव्यवस्था के दर्शन होते हैं। श्रद्धालुओं के हाल इतने बुरे होते हैं कि आस्था और श्रद्धा डगमगा जा सकती हैं। काशी, अयोध्या और उज्जैन की तरह वृंदावन में भी व्यवस्थित गलियारा क्यों नहीं बनाया जा सकता? क्या इसलिए कि वृंदावन में अलगाव और सत्ता के खेल की गुंजाईश नहीं है? मान लिया वृंदावन कृष्ण जन्मस्थली नहीं है। लेकिन मान्यता है कि वृंदावन कृष्ण की स्नेहस्थली, लीलास्थली और समाज के लिए उनकी सेवा-स्थली रही। पंथ-जमात की भीड़ में भी निभाना तो स्वधर्म ही पड़ता है। पंथ में या जमात में जन्म लेने भर से धर्म या स्वधर्म तय नहीं...