इधर जाएं या उधर!
बाजार में मुद्रा का प्रसार नियंत्रित किया जाए या डूबते बैंकों को बेलआउट देकर बचाया जाए, यह विकट समस्या सेंट्रल बैंकों के सामने खड़ी हो चुकी है। इसका समाधान वे ढूंढ नहीं पा रहे हैं। फैलते जा रहे बैंकिंग संकट के बावजूद अमेरिका के फेडरल रिजर्व ने ब्याज दर बढ़ाने का फैसला किया। इसमें 0.25 प्रतिशत की और बढ़ोतरी कर दी गई है। रिजर्व बैंक के वर्तमान नेतृत्व ने शायद 1980-90 के दशकों के अनुभव को याद रखा, जब महंगाई पर काबू पाने के लिए ब्याज दर बढ़ाई गई थी, लेकिन जब मंदी दस्तक देने लगी तो उसमें अचानक कटौती...