conversion

  • ‘सामाजिक न्याय’ के पीछे मतांतरण का खेल

    जातियों को वर्ण की अभिव्यक्ति से जोड़ना मूर्खता है। श्रीभगवद्गीता में श्रीकृष्ण, अर्जुन को संदेश देते हुए वर्ण को इस प्रकार परिभाषित करते हैं, ‘चातुर्वर्ण्यं मया सृष्टं गुणकर्मविभागश:’ (4:13) अर्थात मेरे द्वारा गुण और कार्य के आधार पर चार वर्णों की रचना की गई है। सच यह है कि औपनिवेशिक और वामपंथी समूह जानबूझकर इस तथ्य को नजरअंदाज कर सामाजिक न्याय की आड़ में समस्या का समाधान नहीं करते, बल्कि अपने भारतविरोधी एजेंडे के लिए उसे और गहरा व जटिल बनाने का प्रयास करते हैं। हाल में कांग्रेस शासित कर्नाटक में विभाजनकारी औपनिवेशिक और वामपंथी नैरेटिव का एक और नमूना...