भ्रष्टाचार एजेंडे पर नहीं
ट्रांसपैरेंसी इंटरनेशनल की जो कसौटियां आज हैं, वही दस साल पहले भी थीं। प्रश्न है कि अगर इन कसौटियों पर तैयार भ्रष्टाचार सूचकांक से उभरी सूरत को लेकर तत्कालीन सरकार की जैसी भ्रष्ट छवि बनी थी, तो आज वैसा ही क्यों नहीं हो रहा है? भारत भ्रष्टाचार अवधारणा के सूचकांक पर भारत एक साल में आठ अंक गिर गया। लेकिन यह खबर मीडिया की सुर्खियों में उस तरह से नहीं आई है, जैसा दस साल पहले होता था। तत्कालीन यूपीए सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार का नैरेटिव बनाने में अंतरराष्ट्रीय संस्था ट्रांसपैरेंसी इंटरनेशनल (टीआई) की रिपोर्टों ने बड़ी भूमिका निभाई थी।...