श्मशान घाटों की भी चिंता करों
श्मशान घाटों की दुर्दशा पर बहुत समाचार नहीं छपते। यह एक गंभीर विषय है और आश्चर्य की बात है कि मरते सब हैं पर मौत की बात करने से भी हमें डर लगता है। शोक के मौके पर शवयात्रा में आये लोग श्मशान की दुर्दशा पर बहस करने के लिये बहुत उत्साहित नहीं होते। जैसा भी व्यवहार मिले, सहकर चुपचाप निकल जाते हैं। पर एक टीस तो मन में रह ही जाती है कि हमारे प्रियजन की विदाई का अंतिम क्षण ऐसी अव्यवस्था में क्यों गुजरा? क्या इससे बेहतर व्यवस्था नहीं हो सकती थी? मौत कैसी भी क्यों न हो,...