ये दृष्टि लोकतांत्रिक नहीं
असहमति को दबाना अच्छा संकेत नहीं है। इससे वे शक और गहरे होंगे, जिन्हें बताने के लिए विपक्षी सांसद निर्वाचन भवन तक जाना चाहते थे या जिसे जताने के लिए वे संसद में बहस की मांग कर रहे हैं। अगर 25 विपक्षी दलों के तकरीबन 300 सांसद अपनी शिकायतें बताने के लिए निर्वाचन आयोग के पास जाना चाहते थे, उन्हें बीच में रोकना किसी रूप में लोकतांत्रिक कदम नहीं कहा जा सकता। गौरतलब है कि ये सभी निर्वाचित सांसद हैं, जो देश के एक बड़े जनमत का प्रतिनिधित्व करते हैँ। संसद भवन से शुरू हुआ मार्च किसी ऐसे समूह का...