Diplomacy
रूस पाकिस्तान का करीबी बन जाए, तो उससे भारतीय विदेश नीति के कर्ताधर्तां को चिंता में डूब जाना चाहिए। विदेश नीति और कूटनीति का एक अहम मकसद यही होता है
कब कौन सी संस्था अपना अधिकार जता देगी और कौन नेता किस पाले में चला जाएगा, इसका अनुमान लगाना लगभग असंभव बना रहता है। इस तरह लंबे संघर्ष के बाद जनता ने जो अधिकार हासिल किए और कम्युनिस्टों को जनादेश देकर अपनी बेहतरी की जो उम्मीदें संजोयी, उस पर पानी फिरता रहा है। sher bahadur deuba swornas prime minister : नेपाल के लोकतंत्र की कहानी हर गुजरते वर्ष के साथ इतनी पेचीदा होती गई है कि उसके पेचों को समझना राजनीति के पंडितों के लिए आसान नहीं रहा है। वहां कब कौन सी संस्था अपना अधिकार जता देगी और कौन नेता किस पाले में चला जाएगा, इसका अनुमान लगाना लगभग असंभव बना रहता है। इस तरह लंबे संघर्ष के बाद नेपाल की जनता ने जो अधिकार हासिल किए और बार-बार कम्युनिस्ट पार्टियों को जनादेश देकर अपनी बेहतरी की जो उम्मीदें संजोयी, उस पर पानी फिरता रहा है। 2018 के आम चुनाव में लोगों ने एक बार फिर एकीकृत हुए कम्युनिस्ट दलों को जनता ने भारी जनादेश दिया था। Read also: नेपाली राजनीति अधर में लेकिन वे ठीक से दो साल भी शासन नहीं चला सके। उनकी आपसी उठा-पटक ने कम से कम एक साल से देश को राजनीतिक अस्थिरता के… Continue reading नेपाल की उलझी कथा
नई दिल्ली | कोरोना के कारण पूरी दुनिया में हाहाकार मचा हुआ है. हालात ये हैं कि अमेरिका जैसा शक्तिशाली और संपन्न देश भी इस महामारी से उबरने की कोशिश में है और उसकी अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान हुआ है. ऐसे में एक बार फिर से उत्तर कोरिया ( North Korea Corona Positive ) ने चौकाने वाला दावा किया है. उत्तरी कोरियों की ओर से विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) को बताया गया है कि 10 जून तक 30,000 से ज्यादा लोगों का कोरोना टेस्ट कराने के बाद भी अब तक एक भी कोरोना के केस उनके देश में नहीं मिला है. हालांकि इस बयान पर दुनियाभर के विशेषज्ञों को भरोसा नहीं है. उनका कहना है कि ऐसा हो ही नहीं सकता की जिस बीमारी से दुनियाभर में हड़कंप मच गया है उसका एक भी मरीज उत्तरी कोरिया में ना मिले. ऐसा मानने के पीछे का कारण भी स्पष्ट है. उत्तरी कोरियों की सीमाएं चीन के साथ लगी हुई है इसके साथ ही यहां की स्वास्थ्य व्यवस्था भी उतनी अच्छी नहीं है ऐसे में ये दावा विशेषज्ञो को खोखला ही नदर आता है. पर्यटन प्रतिबंधित करने का साथ ही राजनयिकों को भी बाहर किया कोरोना के खिलाफ जंग को उत्तरी कोरिया ने… Continue reading चीन के साथ सीमा साझा करने वाले देश North Coria ने किया दावा-अब तक नहीं मिला एक भी Corona Positive
नेपाल की सरकार और संसद एक बार फिर अधर में लटक गई है। राष्ट्रपति विद्यादेवी भंडारी ने अब वही किया है, जो उन्होंने पहले 20 दिसंबर को किया था याने संसद भंग कर दी है और 6 माह बाद नवंबर में चुनावों की घोषणा कर दी है। याने प्रधानमंत्री के.पी. ओली को कुर्सी में टिके रहने के लिए अतिरिक्त छह माह मिल गए हैं। जब पिछले 20 दिसंबर को संसद भंग हुई थी तो नेपाल के सर्वोच्च न्यायालय ने इस निर्णय को गलत बताया और संसद को फरवरी में पुनर्जीवित कर दिया था लेकिन ओली उसमें अपना बहुमत सिद्ध नहीं कर सके। पिछले तीन महिने में काफी जोड़-तोड़ चलती रही। काठमांडो जोड़-तोड़ और लेन-देन की मंडी बनकर रह गया। कई पार्टियों के गुटों में फूट पड़ गई और सांसद अपनी मनचाही पार्टियों में आने और जाने लगे। इसके बावजूद ओली ने अभी तक संसद में विश्वास का प्रसताव नहीं जीता और अपना बहुमत सिद्ध नहीं किया। संसद में जब विश्वास का प्रस्ताव आया तो ओली हार गए। राष्ट्रपति ने फिर नेताओं को मौका दिया कि वे अपना बहुमत सिद्ध करें लेकिन सांसदों की जो सूचियां ओली और नेपाली कांग्रेस के नेता शेर बहादुर देउबा ने राष्ट्रपति को दीं, उनमें दर्जनों नाम… Continue reading नेपाली राजनीति अधर में
नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली एक बार फिर प्रधानमंत्री बन गए हैं। संसद में बहुमत साबित नहीं कर पाने की वजह से पिछले हफ्ते उनको इस्तीफा देना पड़ा था। उसके बाद राज्यपाल विद्या भंडारी ने विपक्षी पार्टियों को सरकार बनाने का मौका दिया। नेपाली कांग्रेस पार्टी ने इसके लिए पहल भी की। उसे उम्मीद थी कि ओली और प्रचंड की वजह से कई खेमे में बंटी कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार को समर्थन देने वाली कुछ पार्टियां अलग हो जाएंगी। कम्युनिस्ट पार्टी की कम से कम एक सहयोगी पार्टी के साथ आने की उम्मीद नेपाली कांग्रेस के नेता कर रहे थे। पर ऐसा नहीं हुआ और राष्ट्रपति ने अपनी दी समय सीमा समाप्त होने के बाद ओली को फिर से प्रधानमंत्री बहाल कर दिया। अब उनको अगले 30 दिन में बहुमत साबित करना है। सवाल है कि नेपाल में चल रहा या यह सियासी खेल किसके इशारे पर हो रहा है? और उससे भी बड़ा सवाल है कि इस खेल में भारत कहा है? भारत के विदेश मंत्री लंदन जाकर क्वरैंटाइन हो गए हैं और ऐसा लग रहा है कि उनको कुछ आइडिया भी नहीं है कि नेपाल में क्या चल रहा है। जहां तक भारत सरकार का सवाल है… Continue reading नेपाल के खेल में भारत कहां है?
भारत सरकार बिल्कुल नए अंदाज में कूटनीति कर रही है। एक तरफ पाकिस्तान से सारे संबंध तोड़े हुए हैं। वार्ता बंद है। क्रिकेट और दूसरे खेलों में खिलाड़ियों का आना-जाना बंद है। यहां तक कि एक-दूसरे के यहां दोनों देशों को उच्चायुक्त नहीं हैं। फिर भी परदे के पीछे गुपचुप वार्ता चल रही है। अगर दोनों देशों ने सार्वजनिक बयान देकर और अपने सैद्धांतिक व ऐतिहासिक मुद्दों और विवादों के आधार पर एक दूसरे संबंध तोड़ा तो उसे परदे के पीछे की वार्ता से बहाल करने का क्या मतलब है। अगर संबंध खत्म करना सार्वजनिक था तो संबंध बहाली का प्रयास भी सार्वजनिक रूप से होना चाहिए, जैसे दुनिया के दूसरे देशों के साथ हो रहा है। लेकिन इसकी बजाय भारत सरकार पाकिस्तान के साथ गुपचुप वार्ता कर रही है और तीसरे पक्ष को मध्यस्थ भी बना दिया है। हैरानी की बात है कि पाकिस्तान इसका खुलासा कर रहा है। डंके की चोट पर पाकिस्तान के सरकार से जुड़े बड़े लोग बता रहे हैं कि संयुक्त अरब अमीरात यानी यूएई दोनों देशों के बीच मध्यस्थता कर रहा है। अब पाकिस्तान के सेना प्रमुख ने बताया है कि दोनों देशों के बीच गुपचुप वार्ता हुई है। भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार… Continue reading पाकिस्तान से गुपचुप वार्ता से क्या हासिल?
कारोबारियों के हित देश हित के ऊपर है। इस गिरावट के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पहले उनके विदेश सचिव रहे और अब विदेश मंत्री के तौर पर काम कर रहे एस जयशंकर भी जिम्मेदार हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 56 इंची छाती वाले हैं और वे इसी अकड़ के साथ घरेलू राजनीति करते हैं। घरेलू राजनीति में उन्होंने केंद्रीय एजेंसियों के सहारे सभी राजनीतिक दलों के नेताओं, गैर सरकारी संगठनों, मी
यह बात चीन के संबंध में भी सही है और नेपाल जैसे छोटे से छोटे देश से लेकर पाकिस्तान जैसे जन्म जन्मांतर के दुश्मन देश के बारे में भी सही है कि कूटनीति कभी भी सैन्य ताकत का विकल्प नहीं हो सकती है।
भारत के तीन क्षेत्रों को अपना हिस्सा बताते हुए बनाए गए नए नक्शे को नेपाल की संसद से मंजूरी मिल गई है। अब सिर्फ राष्ट्रपति का दस्तखत होना बाकी है, उसके बाद यह नक्शा मंजूर हो जाएगा।
भारत-नेपाल सीमा पर शुक्रवार को जो घटना हुई, उसे दोनों देशों की सरकारों ने स्थानीय घटना कहकर ज्यादा तव्वजो नहीं दी। अगर आम दिन होते, तो इसे ऐसा ही माना जाता।
नेपाल की संसद ने भारत के कुछ इलाकों को अपना बताने के लिए नक्शे में बदलाव से जुड़ा बिल शनिवार को पास कर दिया।
लद्दाख के सीमांत पर भारत और चीन की फौजें अब मुठभेड़ की मुद्रा में नहीं हैं। पिछले दिनों 5-6 मई को दोनों देशों की फौजी टुकड़ियों में जो छोटी-मोटी झड़पें हुई थीं, उन्होंने चीनी और भारतीय मीडिया के कान खड़े कर दिए थे।
यह रहस्यमय है कि नेपाल के साथ सीमा विवाद पर बातचीत करने में भारत ने दिलचस्पी क्यों नहीं दिखाई? गौरतलब है कि ये विवाद खड़ा होते ही नेपाल ने बातचीत की अपील की।
इधर छलांग लगाते हुए कोरोना से भारत निपट ही रहा है कि उधर चीन और नेपाल की सीमाओं पर सिरदर्द खड़ा हो गया है लेकिन संतोष का विषय है कि इन दोनों पड़ौसी देशों के साथ इस सीमा-विवाद ने तूल नहीं पकड़ा।