‘वादे पे तेरे मारा गया बंदा मैं सीधा-सदा’
एक समय था जब नेता अपने क्षेत्र की जनता को सर-आँखों पर बिठा कर रखते थे। उनकी हर छोटी-बड़ी समस्या का हल निकालने के लिए हर मुमकिन कदम उठाते थे। अपने क्षेत्र के वोटर की ख़ुशी और ग़म में भी परिवार की तरह ही शामिल हुआ करते थे। परंतु आजकल कुछ नेताओं को छोड़ कर ऐसे नेता आपको ढूँढे नहीं मिलेंगे। अनुभवहीन नेता जनता को अपनी मुट्ठी में रखने का झूठा अहसास बनाए बैठे रहते हैं। सन् 1972 में बनी हिन्दी फ़िल्म दुश्मन में जब गीतकार आनंद बख्शी ने एक गीत के बोल में लिखा, ‘वादे पे तेरे मारा गया...