परीक्षाओं में अंकों की होड़ क्यों?
आवश्यक है कि विद्यालयों में गुणवत्ता सुधार के साथ-साथ परीक्षाओं में सफलता का मूल्यांकन केवल अंकों के आधार पर न किया जाए, बल्कि छात्रों की संपूर्ण योग्यता और कौशल को ध्यान में रखा जाए। जब शिक्षा का असली उद्देश्य ज्ञानार्जन बनेगा, तभी समाज का वास्तविक विकास संभव होगा। देश में वार्षिक परीक्षाएँ छात्रों के भविष्य को निर्धारित करने का प्रमुख माध्यम हैं। लेकिन हाल के वर्षों में, शिक्षा का मूल उद्देश्य ज्ञान अर्जन से हटकर केवल उच्च अंक प्राप्त करने तक ही सीमित होता जा रहा है। खासकर देहाती क्षेत्रों के विद्यार्थी अब नियमित कक्षाओं में पढ़ने की बजाय कोचिंग...