Freedom of expression
केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने पिछले सात साल में करीब डेढ़ हजार कानूनों को खत्म किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद अक्सर इस बात का जिक्र करते हैं।
ये व्यवस्था एक आम नागरिक की निजता के लिहाज से सही है या गलत? जाहिर है, नागरिक अधिकारों के लिए सचेत कोई व्यक्ति ऐसी और ज्यादा व्यवस्थाओं की मांग सोशल मीडिया कंपनियों से करेगा। और जब सरकार जो व्यवस्था है, उसे भी खत्म करना चाहती है, तो वह उसके विरोध में खड़ा होगा। जिस समय सोशल मीडिया कंपनियां पूरी विकसित दुनिया में जांच-पड़ताल के दौर से गुजर रही हैं और उनके एल्गोरिद्म को लेकर सवाल गहराते गए हैं, उस समय भारत में नागरिकों अधिकारों के प्रति जागरूक कोई व्यक्ति इनमें से किसी कंपनी का समर्थन करे, यह विडंबना ही है। लेकिन भारत सरकार को जो रुख सामने है, उसके बीच ऐसा करने के अलावा कोई विकल्प नहीं दिखता। जब देसी मीडिया को पूरी तरह ‘वफादार’ बना लेने के बाद सरकार सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म्स को भी उस मॉडल पर चलाने की जुगत में है, अगर किसी कंपनी ने इस कोशिश को चुनौती दी है, तो उसका समर्थन करने के अलावा और क्या रास्ता बचता है? मुद्दा सोशल मीडिया मैसेजिंग ऐप व्हाट्सएप और सरकार के बीच खड़े हुए तनाव का है। यह भी पढ़ें: अगर इरादा साफ हो सोशल मीडिया मध्यस्थ कंपनियों के लिए केंद्र सरकार की तरफ से लागू किए गए… Continue reading कैसे दें सरकार का साथ?
सोचें, भारत के नागरिकों की निजता और अभिव्यक्ति की चिंता में कौन दुबला हो रहा है? कौन इसकी लड़ाई लड़ रहा है? अमेरिका का सोशल मीडिया कंपनियां व्हाट्सऐप और ट्विटर भारतीय नागरिकों की चिंता में हैं और उनकी निजता और अभिव्यक्ति की लड़ाई लड़ रही हैं। यह कैसी विडंबना है कि जिन कंपनियों के ऊपर लोगों की निजता से समझौता करने और गोपनीय डाटा इकट्ठा करने, उन्हें लीक करने या बेचने के आरोप है या जो कंपनियां मनमाने तरीके से लोगों की बोलने-लिखने की आजादी को नियंत्रित करती हैं वो भारत सरकार को सबक दे रही हैं और अदालत में जाकर नागरिकों की निजता और अभिव्यक्ति के मुद्दे उठा रही हैं! इससे भी बड़ी विडंबना यह है कि भारत सरकार इस मामले में यह कह कर बचाव कर रही है कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और उसको ये कंपनियां नसीहत न दें। सोचें, क्या भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है इसलिए यह मान लिया जाए कि देश में लोगों की निजता सुरक्षित है और अभिव्यक्ति की आजादी है? यह बहुत सतही तर्क है और यह तर्क पेश करने से पहले सूचना व प्रौद्योगिकी मंत्रालय के इस बारे में सोचना चाहिए था। यह अपने आप में इस… Continue reading निजता, अभिव्यक्ति की चिंता किसको?
नई दिल्ली। कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण से निपटने की बजाय केंद्र सरकार सोशल मीडिया प्लोटफॉर्म ट्विटर पर डाली जा रही पोस्ट हटवाने में लगी है। सोशल मीडिया पर सेंसरशिप लागू करते हुए केंद्र सरकार ने ट्विटर से कहा है कि वह कोरोना वायरस के संक्रमण से निपटने में सरकार की विफलता के बारे में डाली गई पोस्ट हटाए। हालांकि सरकार का दावा है कि सरकार अपने खिलाफ लिखी गई पोस्ट नहीं हटवा रही है, बल्कि कोरोना के बारे में फेक न्यूज वाले पोस्ट हटवा रही है। लेकिन यह बात पूरी तरह से सही नहीं है। मीडिया से जुड़े कई बड़े पत्रकारों और यहां तक की विरोधी पार्टी कांग्रेस के प्रवक्ता की पोस्ट भी हटवाई गई है, जिसमें उन्होंने सरकार की आलोचना की थी। कांग्रेस के प्रवक्ता पवन खेड़ा ने अपनी पोस्ट हटाए जाने को लेकर सूचना व प्रौद्योगिक मंत्री रविशंकर प्रसाद और ट्विटर दोनों को कानूनी नोटिस भेजा है। उन्होंने कोरोना वायरस से निपटने में दोहरे मानदंड अपनाने का आरोप लगाते हुए कुंभ मेला और तबलीगी जमात की मरकज का मामला उठाया था। उनकी इस ट्विट को हटा दिया गया है, जिसे उन्होंने कानूनी चुनौती दी है। ऐसे कई और पत्रकारों और नेताओं के ट्विट हटाए गए हैं। इस… Continue reading विफलता दबाने के लिए ट्विट हटवा रही सरकार
एक रिपोर्ट के मुताबिक नागरिकों के इंटरनेट एक्सेस करने की आजादी पर भारत में दुनिया के कई एकाधिकारवादी देशों जैसे म्यांमार, बेलारूस, अजरबैजान आदि से भी ज्यादा पाबंदी है।
अभिव्यक्ति की आजादी को लेकर पिछली एक सदी में जितनी कविताएं या गद्य लिखा गया है, उनकी सिर्फ एक-एक, दो-दो पंक्तियां लिख दी जाएं तो अपनी बात पूरी हो जाएगी।
ट्विटर और केंद्र सरकार के बीच चल रहे विवाद के बीच सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार और ट्विटर दोनों को नोटिस जारी किया है।
ट्विटर एक उलझन में फंसा नजर आता है। वह ये नहीं समझ पा रहा है कि आखिर किस हद तक अभिव्यक्ति की आजादी के समर्थन में खड़ा हुआ जाए।
पिछले महीने अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का ट्विटर एकाउंट बंद करने वाली अमेरिकी सोशल मीडिया कंपनी ट्विटर ने भारत ने अभिव्यक्ति की आजादी का पक्ष लिया
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर आज दो बादल छाए हुए लगते हैं। एक तो सरकारों का बनाया हुआ और दूसरा अदालत का! उत्तरप्रदेश और मध्यप्रदेश की पुलिस ने उन छह पत्रकारों के खिलाफ रपट लिख ली है