वेद प्रताप वैदिक
सारी फौज के शस्त्रास्त्रों की खरीद पर जितना पैसा खर्च होता है, उससे ज्यादा पेंशन पर हो जाता है। फौज का आधुनिकीकरण बेहद जरुरी है।
जिस अफगानिस्तान के शहरों और गांवों में लाखों सिख रहा करते थे, वहां अब मुश्किल से डेढ़-दो सौ परिवार बचे हुए हैं।
जैसा कि मैंने परसों लिखा था, अग्निपथ योजना के विरुद्ध चला आंदोलन पिछले सभी आंदोलन से भयंकर सिद्ध होगा। वही अब सारे देश में हो रहा है।
अमेरिका और भारत ने मिलकर मक्की का नाम आतंकवादियों की विश्व सूची में डलवाने का प्रस्ताव किया था लेकिन चीन ने सुरक्षा परिषद के सदस्य होने के नाते अपना अड़ंगा लगा दिया।
मोदी सरकार ने जो नई अग्निपथ योजना घोषित की है, उसके खिलाफ सारे देश में जन-आंदोलन शुरु हो गया है। यह आंदोलन रोजगार के अभिलाषी नौजवानों का है।
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन अगले माह सउदी अरब की यात्रा पर जा रहे हैं। उस दौरान वे इजराइल और फिलीस्तीन भी जाएंगे
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रक्षा मंत्री राजनाथसिंह ने रोजगार के बारे में जो घोषणाएं की हैं, यदि उन्हें वास्तव में अमली जामा पहनाया जा सके तो लोगों को काफी राहत मिलेगी।
कांग्रेस आजकल राजनीतिक पार्टी की बजाय प्राइवेट लिमिटेड कंपनी बनती जा रही है, इसका ताजा प्रमाण फिर सामने आ रहा है। ‘
पैगबंर-विवाद को लेकर भारत में अभी प्रदर्शन, जुलूस और पत्थरबाजी का दौर चल रहा है और दोषियों को दंडित करने के नाम पर उनकी अवैध संपत्तियों को भी ढहाया जा रहा है
संयुक्तराष्ट्र संघ में अभी भी दुनिया की सिर्फ छह भाषाएं आधिकारिक रूप से मान्य हैं। अंग्रेजी, फ्रांसीसी, चीनी, रूसी, हिस्पानी और अरबी
जिन मुसलमान भाइयों ने गुस्से में आकर ये सब कारनामे किए हैं, उनसे अगर आप पूछें कि किस बयान की किस बात पर आप नाराज़ हैं तो उन्हें उसका कुछ पता ही नहीं है।
विवाद द्रौपदी के चीर की तरह खिंचता ही चला जा रहा है। कुछ इस्लामप्रेमियों ने प्रवक्ताओं के मुंडी या जुबान काटकर लानेवाले के लिए लाखों-करोड़ों का इनाम घोषित कर दिया है।
आम चुनावों में मतदाताओं को अपनी तरफ फिसलाने के लिए सभी दल तरह-तरह की फिसलपट्टियां लगाते हैं लेकिन विधायकों के साथ उल्टा होता है।
यदि कोई देश भारत से संबंध तोड़ता है तो उससे भारत का नुकसान जरुर होगा लेकिन उस देश का नुकसान भारत से कहीं ज्यादा होगा।
भाजपा ने अपने प्रवक्ताओं के खिलाफ कार्रवाई कर दी है लेकिन उससे न तो हमारे कुछ मुस्लिम संगठन संतुष्ट हैं और न ही कई इस्लामी राष्ट्र!