Fundamental Rights

  • कहने की जरूरत पड़ी!

    टिप्पणियां साधारण इस लिहाज से हैं कि किसी लोकतांत्रिक व्यवस्था में- जहां अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता संविधान प्रदत्त मौलिक अधिकार हो- इन्हें कहने की जरूरत नहीं पड़नी चाहिए। मगर आज हालात ऐसे हैं कि ऐसे मामले सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच जाते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने बीते हफ्ते दो साधारण बातें कहीं, लेकिन वो अखबारों में प्रमुख सुर्खियां बनीं। ये टिप्पणियां साधारण इस लिहाज से हैं कि किसी लोकतांत्रिक व्यवस्था में- जहां अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता संविधान प्रदत्त मौलिक अधिकार हो- इन्हें कहने की जरूरत नहीं पड़नी चाहिए। मगर आज देश के हालात ऐसे हैं कि ऐसे मामले सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच जाते...