ब्रांडेड और जेनेरिक दवाओं में फंसा आम आदमी
ब्रांडेड और जेनेरिक दवाओं के बीच का अंतर केवल नाम और कीमत का है, प्रभावशीलता का नहीं। भारत जैसे देश में, जहां स्वास्थ्य सेवाएं पहले से ही कई लोगों के लिए सुलभ नहीं हैं, जेनेरिक दवाएं एक वरदान हैं। लेकिन फार्मा कंपनियों के लालच और भ्रामक मार्केटिंग के कारण मरीजों को अनावश्यक रूप से महंगी दवाएं खरीदनी पड़ रही हैं। भारत में स्वास्थ्य सेवा एक ऐसा क्षेत्र है, जहां लाखों लोग अपनी जिंदगी को बेहतर बनाने के लिए दवाओं पर निर्भर हैं। लेकिन दवाओं के बाजार में एक बड़ा सवाल हमेशा चर्चा में रहता है, ब्रांडेड दवाएं या जेनेरिक दवाएं?...