आर्थिक संकट से अशांति
अभी तीन साल पहले तक यह सोचना कठिन था कि जर्मनी जैसे धनी देश में किसान प्रतिरोध का ऐसा का नजारा देखने को मिलेगा। लेकिन जर्मन सरकार की प्राथमिकताओं ने देश को संकट में फंसा दिया। उसका नतीजा सामने है। यूरोप में पसरते आर्थिक संकट का असर बढ़ती सामाजिक अशांति के रूप में दिख रहा है। बात अब महाद्वीप की सबसे मजबूत अर्थव्यवस्था जर्मनी तक पहुंच चुकी है। यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद से जर्मनी की मुश्किलें बढ़ती चली गई हैं। जर्मनी भी रूस पर प्रतिबंध लगाने वाले देशों में उत्साह से शामिल हुआ। नतीजतन, रूस से सस्ती ऊर्जा...