Haryana assembly election results

  • भाजपा के माइक्रो प्रबंधन की जीत!

    हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी की जीत सबको हैरान करने वाली है। यहां तक कि राज्य के कार्यवाहक मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के लिए भी यह आश्चर्यजनक घटना है क्योंकि सुबह साढ़े नौ बजे के करीब उन्होंने हार मान ली थी। मंगलवार, आठ अक्टूबर की सुबह जब कांग्रेस पार्टी 60 से ज्यादा सीटों पर आगे चल रही थी तब नायब सिंह सैनी ने एक बयान दिया था कि अगर भाजपा हारती है तो उसकी जिम्मेदारी उनकी होगी। उन्होंने जीत की संभावना खत्म मान ली थी और हार की जिम्मेदारी पार्टी के शीर्ष नेतृत्व यानी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह...

  • नेताओं का आपसी झगड़ा भारी पड़ा

    कांग्रेस को नेताओं का आपसी झगड़ा भी भारी पड़ा है। राहुल गांधी और उनकी टीम चुनाव नतीजों से पहले इसी का श्रेय लेने में रह गई कि हरियाणा में कांग्रेस की मजबूती राहुल के कारण है। पूरे प्रचार में इसकी कोशिश होती रही कि हुड्डा की बजाय राहुल को श्रेय मिले। और चुनाव के बाद राहुल तय करें कि कौन मुख्यमंत्री होगा। इसका नतीजा यह हुआ है कि जमीनी स्तर पर हुड्डा बनाम सैलजा बनाम रणदीप सुरजेवाला का विवाद सुलझा नहीं। सब अपनी अपनी राजनीति करते रहे। सब मुख्यमंत्री पद पर दावेदारी करते रहे। दूसरी ओर भाजपा ने कोई विवाद...

  • हुड्डा पर अति निर्भरता का भी नुकसान

    कांग्रेस पार्टी का सामाजिक समीकरण भूपेंद्र सिंह हुड्डा की वजह से भी बिगड़ा। कांग्रेस उनके ऊपर बहुत ज्यादा निर्भर हो गई थी। टिकट बंटवारे से लेकर प्रचार तक में हर जगह भूपेंद्र सिंह हुड्डा और उनके बेटे दीपेंद्र हुड्डा दिख रहे थे। कांग्रेस ने उनको मुख्यमंत्री का उम्मीदवार घोषित नहीं किया था लेकिन हरियाणा के मतदाताओं में यह मैसेज था कि कांग्रेस की सरकार बनी तो हुड्डा मुख्यमंत्री होंगे। इससे जाट मतदाताओं में तो उत्साह था लेकिन गैर जाट वोटों की अंदर अंदर गोलबंदी भी शुरू हो गई थी। पहलवानों के प्रदर्शन और उनके लेकर पूरे प्रदेश में घूमने का...

  • कांग्रेस को जातीय समीकरण में धोखा

    कांग्रेस पार्टी हरियाणा में न सिर्फ माइक्रो प्रबंधन में कांग्रेस से पिछड़ी, बल्कि जातीय समीकरण में भी भाजपा भारी पड़ी है। कांग्रेस का जातीय समीकरण पूरी तरह से जाट व मुस्लिम वोट तक सिमट कर रह गया। वह बहुत ज्यादा दलित वोट भी नहीं हासिल कर सकी। इसका नतीजा यह हुआ है कि कांग्रेस पार्टी भूपेंद्र सिंह हुड्डा के गढ़ में सोनीपत और गोहाना जैसी सीट हार गई। जाटों के गढ़ में जैसे जैसे जाट वोट एकजुट हुआ उसी अनुपात में दूसरी जातियों के वोट गोलबंद हो गए। पहले लग रहा था कि कांग्रेस का जाट, दलित और मुस्लिम वोट...

  • जीती पहचान की राजनीति?

    ताजा चुनाव नतीजों से कांग्रेस के सामने आत्म-मंथन के गहरे प्रश्न आए हैं। जातीय पहचान की जिस राजनीति को उसके नेतृत्व ने अपनाया है, क्या उससे असल में नुकसान हो रहा है? फिलहाल, यह रास्ता उसे किसी मंजिल तक ले जाता नहीं नजर आता है। जातीय और मजहबी पहचान की राजनीति में भाजपा का कोई तोड़ नहीं है, हरियाणा विधानसभा के चुनाव नतीजों ने यह बात फिर साबित की है। वैसे देखा जाए, तो इस नजरिए जम्मू-कश्मीर के चुनाव परिणाम को भी काफी हद तक समझा जा सकता है। हरियाणा में भाजपा ने ओबीसी और उन जातियों को गोलबंद करने...