इस्लामवादी आंदोलनों को नई सांस!
बहुत समय नहीं गुज़रा जब लग रहा था कि इस्लाम पुरातन, घिसी-पिटी रूढ़ियों की जंजीरों को तोड़ रहा है। मुसलमानों में बदलाव आ रहा है। पिछले कुछ सालों से धर्म के प्रति उनका रवैया बदल रहा था। वे पुराने बंधनों को तोड़ रहे थे। उनमें स्वतंत्र होने की तड़फ दिख रही थी। वे सुधारों की मांग कर रहे थे। पश्चिम एशिया में इस्लाम के झंडाबरदारों - सुन्नी सऊदी अरब और शिया ईरान - के बीच की धार्मिक खाई को भरने का काम शुरू हो चुका था। वे एक-दूसरे को स्वीकार करने के लिए राजी नज़र आ रहे थे। मुस्लिम देशों...