झकझोरती है ’होमबाउंड’
नीरज घेवन की 'होमबाउन्ड', लंबे अर्से बाद कोई ऐसी रियलिस्ट फ़िल्म आई है, जिसने दर्शकों को झकझोर कर रख दिया है। सिनेमा ख़त्म होने के बाद भी इसका गहरा असर दर्शकों के दिलों दिमाग पर रहता है। पूरी फ़िल्म में कथार्सिस के ऐसे ढेर सारे मोमेंट्स हैं जो दर्शकों को उनके 'की फ़र्क़ पैंदा' की जीवन शैली से बाहर निकाल कर गहन विचार विमर्श करने के लिए प्रेरित करते हैं। नज़दीकी सिनेमाघर में है। देख लीजिएगा। सिने-सोहबत अख़बार में छपे शब्दों का जादू किसी भी रुप में अपना असर दिखा सकता है। आज के 'सिने-सोहबत' में एक ऐसी फ़िल्म,...