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  • चुनाव प्रक्रिया पर शक उठे हैं, तो उनका निवारण जरूरी

    न्याय के सिलसिले में अक्सर यह कहा जाता है कि इंसाफ ना सिर्फ होना चाहिए, बल्कि होते हुए दिखना भी चाहिए। यानी इंसाफ इस ढंग होना चाहिए कि संबंधित पक्षों को यह महसूस हो कि न्यायालय ने सभी साक्ष्यों की रोशनी में बिना किसी राग-द्वेष और पूर्वाग्रह या पक्षपात के अपना फैसला दिया है।... यही बात चुनाव पर भी लागू होती है। चुनावोंके आयोजन में ऐसी पारदर्शिता जरूरी है, जिससे उसकी निष्पक्षता में सभी पक्षों का भरोसा बरकरार रहे। चुनावों की निष्पक्षता और पवित्रता पर जितने गंभीर प्रश्न अब उठ रहे हैं, वैसा आजाद भारत के इतिहास में कभी नहीं...