पत्रकारों को जानने के अब क्या मायने ?
कुछ दिन पहले मेरी मुलाक़ात एक महिला से हुई। सामान्य परिचय का सिलसिला शुरू हुआ—वह कॉरपोरेट में काम करती हैं। उन्होंने पूछा, “आप क्या करती हैं? मैंने कहा, “मैं पत्रकार हूँ।” गर्व से, ठहरकर। और उन्होंने बिना पलक झपकाए, बहुत सहजता से कहा, “ओह, मैं किसी पत्रकार को नहीं जानती।” वह इसे व्यक्तिगत तौर पर नहीं कह रही थीं बल्कि जैसे, “मेरे सर्कल में कोई पत्रकार नहीं है।” नहीं, उनका मतलब सामान्य था। वह ख़बरें नहीं पढ़तीं, समसामयिक मामलों को नहीं जानतीं, और पत्रकारिता को तो शायद नाम से भी नहीं। अजीब बात यह थी कि मैंने उनसे “क्यों?” नहीं...