समांतर सोच का कंकर आप के तालाब में
journalism news: आप सोच रहे होंगे कि आज मैं यह सफाईनुमा प्राक्कथन क्यों लिख रहा हूं? मैं यह इसलिए कह-बता रहा हूं कि पत्रकारीय जगत में धारदार ध्रुवीकरण के इस चरम दौर में अलग-अलग वैचारिक प्रतिबद्धताओं का लालन-पालन कर रहे पत्रकारों को तरह-तरह के अधम ख़िताबों से नवाज़ा जाने लगा है। ज़ाहिर है कि कई लांछन मेरे माथे भी मढ़े जाते हैं। सो, मेरे मन को कुछ सवाल मथ रहे हैं और मैं आप से उन का जवाब चाहता हूं।...मेरा मक़सद किसी से भी अपनी या किसी की तुलना करना नहीं है। मैं महज़ एक समांतर सोच का कंकर आप...