कर्म की सक्रिय व संयमित धारा यमुना
वेद और वैदिक साहित्य में गंगा, यमुना, सरस्वती और अन्य नदियों का उल्लेख प्रतीकात्मक रूप से हुआ है। यह नाम केवल भौगोलिक नदियों के संकेतक नहीं है, बल्कि गहरी आध्यात्मिक और प्रतीकात्मक अर्थ लिए हुए हैं। वेद में नदियों को मानव चेतना, शरीर और आत्मा के परिष्करण की धारा के रूप में प्रस्तुत किया गया है। ऋग्वेद में एक ही स्थान पर पृथ्वी पर बहने वाली दस नदियों का वर्णन शरीर में अवस्थित दस नाड़ियों के संदर्भ में किया गया है। 3 अप्रैल -यमुना जयंती भारत में प्रकृति के विभिन्न रूपों के पूजन की वृहत परंपरा रही है। यहां नदियों...