केरल चुनाव से पहले एमए बेबी का दांव
कह सकते हैं कि देश की सबसे बड़ी कम्युनिस्ट पार्टी सीपीएम के पास ज्यादा विकल्प नहीं थे। लगभग सभी राज्यों में उसका संगठन बहुत कमजोर हो गया है और दूसरी पीढ़ी के नेता तैयार नहीं हुए हैं। उसके पास सिर्फ केरल में संगठन मजबूत है और इसलिए केरल के नेता को सीपीएम का महासचिव बनाया गया है। लेकिन इसके पीछे कहीं न कहीं केरल के विधानसभा चुनाव का भी मामला है। गौरतलब है कि केरल में अगले साल मई में विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं। पिछली बार सीपीएम ने इतिहास बदला था। पांच साल पर सत्ता बदलने के इतिहास...