हिंदी पर कदम पीछे?
इन हाल के वर्षों में ऐसा क्या बदल गया है? राजनीतिक नेतृत्व- खासकर केंद्र में सत्ताधारी दल को इस पर आत्म-निरीक्षण करना चाहिए? संकेत साफ है। हिंदी को राजनीति का औजार बनाने से इस भाषा का नुकसान ही हो रहा है। महाराष्ट्र के स्कूलों में हिंदी की पढ़ाई अनिवार्य बनाने के बाद इसकी अनिवार्यता ना होने संबंधी अब दिए गए मुख्यमंत्री के बयान का सीधा मतलब इस मुद्दे पर कदम वापसी है। नई शिक्षा नीति के प्रावधान के मुताबिक इस बारे में राज्य सरकार के फैसले पर राज्य में व्यापक विरोध भड़का। लगभग सभी राजनीतिक दलों के अंदर से इसके...