मनुष्यों की जान की कीमत ही क्या है!
mahakumbh 2025 : मौत की गंध को, थकावट को, निराशा को, दुःख को वे लोग महसूस कर रहे थे, जो वहां मौजूद थे और इंसान थे! दोपहर होते होते फिर ‘भगदड़’ को ‘भगदड़-जैसे हालात’ बना दिया गया। हकीकत को अफवाह बताया जा रहा था। आस्था की सराहना और उसके प्रति श्रद्धा दिखाना जारी था। एक छोटी बच्ची, थोड़ी देर पहले ही संगम में डुबकी लगाई थी। बाल अभी भी गीले थे, लेकिन शरीर ठंडा, मृत पड़ा था। एक थका-हारा आदमी ज़मीन पर पसरा हुआ था। वह खड़ा होने को तैयार नहीं था। उसकी आंखों में नाउम्मीदी साफ नजर आ रही...