Mosque
इस विवाद का नेतृत्व करने वाले क्षेत्र के सांसद स्वयं प्रधानमंत्री जी है, किंतु वे भी पूरी तरह मौन धारण किये हुए है
वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद के मामले में अदालतें क्या फैसला करेंगी, अभी कुछ कहा नहीं जा सकता लेकिन इतना समझ लीजिए कि यह मामला अयोध्या की बाबरी मस्जिद-जैसा नहीं है।
काबुल में शुक्रवार को एक मस्जिद में हुए भीषण बम धमाका हुआ है। जिसमें 10 लोगों के मारे जाने की खबर है।
नासिक पुलिस कमिश्नर ने अपने नए आदेश में कहा कि, सभी धार्मिक स्थलों को 3 मई तक लाउडस्पीकर के उपयोग की अनुमति लेनी होगी।
भाजपा, सपा ,बसपा और यहां तक की उत्तर प्रदेश में पहली बार चुनाव लड़ने जा रहे हो ओवैसी भी हरकत में आ गए हैं. ऐसे में तीन दशकों से यूपी की सत्ता से दूर होने वाली कांग्रेस…
मेरठ के मोहल्ला मुन्नालाल में मस्जिद से नमाज पढ़कर लौटने के दौरान दो पक्षों में चप्पल बदलने पर विवाद हो गया. इसके बाद दोनों पक्षों की ओर से चाकूबाजी और पत्थराव भी शुरू हो गया.
यदि इस्लामिक देश सऊदी अरब वर्तमान की आवश्यकता, सभ्य एवं उदार समाज की रचना-स्थापना और अपने नागरिकों के सुविधा-सुरक्षा-स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए मस्जिदों में ऊँची आवाज़ में बजने वाले लाउडस्पीकरों पर शर्त्तें और पाबन्दियाँ लगा सकता है तो धर्मनिरपेक्ष देश भारत में ऐसा क्यों नहीं हो सकता? परिवर्तन प्रकृति का शाश्वत नियम है। युगीन आवश्यकता एवं वर्तमान परिस्थिति-परिवेश के अनुकूल परिवर्तन सतत चलते रहना चाहिए। इसी में अखिल मानवता और जगती का कल्याण निहित है। परिवर्तन की यह प्रक्रिया चारों दिशाओं और सभी पंथों-मज़हबों में देखने को मिलती रही है। इतना अवश्य है कि कहीं यह प्रक्रिया तीव्र है तो कहीं थोड़ी मद्धिम, पर यदि हम जीवित हैं तो परिवर्तन निश्चित एवं अपरिहार्य है। इस्लाम में यह प्रक्रिया धीमी अवश्य है, पर सतह के नीचे वहाँ भी परिवर्तन की तीव्र कामना और बेचैन कसमसाहट पल रही है। इस्लाम एक बंद मज़हब है। वह सुधार एवं बदलावों से भयभीत और आशंकित होकर अपने अनुयायियों पर भी तरह-तरह की बंदिशें और पाबन्दियाँ लगाकर रखता है। इन बंदिशों एवं पाबंदियों के कारण उसको मानने वाले बहुत-से लोग आज खुली हवा, खिली धूप में साँस लेने के लिए तड़प उठे हों तो कोई आश्चर्य नहीं! तमाम इस्लामिक देशों और उनके अनुयायियों के… Continue reading इस्लामिक देशों में बदलाव, जगती उम्मीदें
आज से रमजान का पवित्र महीना शुरु हो गया है। मुसलमान समाज पुरे साल भर से रमजान के पवित्र महीने का इंतज़ार करते है। रमजान इस्लाम धर्म के सबसे पवित्र महीनों में आता है। ऐसा माना जाता है कि रमज़ान के महीने में की गई इबादत का फल आम दिनों में की गई इबादतों के मुकाबले 70 गुना ज्यादा मिलता है। लोग पूरे महीने का रोजा भी करते है. मान्यता है कि रोजे हमेशा जोड़े में किये जाते है. कभी भी 1 या 3 रोजे नहीं होते हैं. नमाज़ पढ़ते हैं और कुरान की तिलावत करते हैं। 13 अप्रैल को इस साल के रमज़ान की पहली सहरी खाई गई और इसके बाद आज से ही रोजे़- नमाज़ का सिलसिला शुरू हो गया है . आज रमजान का पहला रोजा है। रमजान के अंतिम दिन ईद मनायी जाती है। इसे भी पढ़ें Chaitra Navratri 2021 : माता का अनोखा मंदिर जहां प्रसाद नहीं, चढ़ाई जाती हैं हथकड़ी और बेड़ियां कैसे रखा जाता है रोजा रोजा सुबह की सहरी से शुरु होकर शाम को इफ्तार पर खत्म हो जाता है. सुबह सुरज निकलने से पहले एक प्रकार का नाश्ता या हल्का-फुल्का खाना खाया जाता है। पास के मस्ज़िद में सुबह सहरी का ऐलान… Continue reading रमजान 2021 : आज से रमजान का पाक महीना शुरू, जानें क्यों रखे जाते हैं रोजे…
जाली कोठी इलाके में मस्जिद को सील करने गई पुलिस अधिकारियों की टीम पर हमला करने के चलते मस्जिद के इमाम सहित चार व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया है।
जिला मुख्यालय से लगभग 38 किलोमीट दूर एक गांव में लॉकडाउन की अवहेलना कर सामूहिक तौर पर मस्जिद में नमाज अदा करने के आरोप में पुलिस ने एक समुदाय के 40 लोगों के खिलाफ प्राथमिकी
भारत के कुछ हिंदू और मुस्लिम नेता दोनों संप्रदायों की राजनीति जमकर कर रहे हैं लेकिन देश के ज्यादातर हिंदू और मुसलमानों का रवैया क्या है ? अदभुत है। उसकी मिसाल दुनिया में कहीं और मिलना मुश्किल है। कुछ दिन पहले मैंने तीन लेख लिखे थे। एक में बताया गया था कि वाराणसी में संस्कृत के मुसलमान प्रोफेसर के पिता गायक हैं और वे हिंदू मंदिरों में जाकर अपने भजनों से लोगों को विभोर कर देते हैं। दूसरे लेख में मैंने बताया था कि उप्र के एक गांव में एक मुस्लिम परिवार के बेटे ने अपने पिता के एक हिंदू दोस्त की अपने घर में रखकर खूब सेवा की और उनके निधन पर उनके पुत्र की तरह उनके अंतिम संस्कार की सारी हिंदू रस्में अदा कीं। तीसरे लेख में आपने पढ़ा होगा कि कर्नाटक के एक लिंगायत मठ में एक मुस्लिम मठाधीश को नियुक्त किया गया है लेकिन अब सुनिए नई कहानी। ग्रेटर नोएडा के रिठौड़ी गांव में एक भव्य मस्जिद बन रही है। उसकी नींव गांव के हिंदुओं ने छह माह पहले रखी थी। इस गांव में बसनेवाले हर हिंदू परिवार ने अपनी-अपनी श्रद्धा और हैसियत के हिसाब से मस्जिद के लिए दान दिया है। पांच हजार लोगों के… Continue reading हिंदू बना रहे मस्जिद
कल, महाशिवरात्रि पर मैं इंदौर में था। शहर के जिस हिस्से में हमारा पारिवारिक बसेरा है, उसके पूरब में मुस्लिम बस्ती है, पश्चिम में चिड़ियाघर है, उत्तर में बड़े सरकारी नौकरशाहों के बंगले हैं और दक्षिण में एक छोटा-सा मंदिर है। इस चोहद्दी के बीच, पता नहीं कितने प्राचीन एक बरगद के बगल में, कोई चार दर्जन आशु-आवासों की हमारी बस्ती अब से साढ़े तीन दशक पहले क़लमकारों के लिए बनी थी, मगर अब हरफ़नमौला भी उसकी गोद में आ कर बस गए हैं। मैं जब भी इंदौर में होता हूं, और महीने-दो-महीने में एकाध बार होता ही हूं, तो अपने इसी घर के एक कमरे में रहता हूं। जो सुख अपनी कुटिया में मिलता है, मुझे तो कभी किसी हिल्टन और शेरेटॉन में नहीं मिला। बचपन के बाद मैं सूर्यास्त से पहले अब तभी उठता हूं, जब सुबह की कोई उड़ान पकड़ने की मजबूरी हो। मैं कहीं भी एक दिन पहले शाम को पहुंचना पसंद करता हूं। इंदौर के इस घर में मेरी नींद फ़ज़्र की नमाज़ के लिए होने वाली अज़ान से खुल जाती है। पूरब में बनी मस्जिद के लाउडस्पीकर से मुअज्ज़िन की आवाज़ जु़हर, अस्र, मग़रिब और ईशा की अज़ान के वक़्त तो सुनाई नहीं देती,… Continue reading नीलकंठ की अनुपस्थिति के बावजूद
अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए सरकार ने न्यास की घोषणा कर दी है और पांच एकड़ जमीन 25 किमी दूर मस्जिद के लिए तय कर दी है। सर्वोच्च न्यायालय के फैसले को लागू करके सरकार ने अपने कर्तव्य की इतिश्री समझ ली है। मंदिर तो बन ही जाएगा। संघ और भाजपा की मुराद तो पूरी हो ही जाएगी। लेकिन पता नहीं, मुसलमान संतुष्ट होंगे या नहीं। मुस्लिम संगठनों और नेताओं में से आज तक किसी ने भी सरकारी घोषणा का स्वागत नहीं किया है। उनमें से कुछ ने तो यह अतिवादी बात भी कह दी है कि मस्जिद तो वहीं बनेगी, जहां उसका ढांचा खड़ा था। उन्होंने यह भी कहा है कि अयोध्या से 20-25 किमी दूर उस मस्जिद में नमाज़ पढ़ने कौन जाएगा ? जिस सुन्नी वक्फ बोर्ड को यह 5 एकड़ जमीन दी गई है, उसके अधिकारी भी नहीं जानते कि बोर्ड उसे स्वीकार करेगा या नहीं ? दूसरे शब्दों में अदालत का फैसला लागू तो हो रहा है लेकिन डर है कि वह अधूरा ही लागू होगा। इसके लिए क्या अदालत जिम्मेदार है ? नहीं, इसकी जिम्मेदारी उसकी है, जिसने उस पांच एकड़ जमीन की घोषणा की है। वह कौन है ? वह सरकार है।… Continue reading राम मंदिरः दिलों में ईंटे, लबों पर खुदा
भाजपा सांसद प्रवेश वर्मा ने कहा है कि अगर भाजपा दिल्ली में सत्ता में आती है तो वह न केवल एक घंटे के अंदर शाहीन बाग को सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों से खाली करा लेंगे,
अयोध्या राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद में सुप्रीम कोर्ट द्वारा सरकार को मुस्लिम पक्ष को मस्जिद बनाने के लिए पांच एकड़ भूमि देने के निर्देश के बाद सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड फिलहाल कोई निर्णय भले ही नहीं कर पाया है,