मुंबई में अनिश्चितता और न्यूयार्क में भरोसा!
कुछ दिनों से मैं मुंबई में हूँ। यह महानगर उभरते भारत की झिलमिलाहट बतलाता हुआ है। काँच की इमारतें मानसून के आसमान को छूती हैं। नया कोस्टल रोड अरब सागर पर किसी रिबन की तरह खुलता चला जाता है। यह वही शहर है जो न्यूयॉर्क बनने का सपना देखता है। तभी लगातार निर्माणाधीन स्काइलाइन, वॉल स्ट्रीट के ब्रोकरों जैसी दौड़-भाग, ब्रॉडवे जितने चमकीले फिल्म सितारे, और वे कैफ़े, जहाँ स्टार्टअप की बातें गूँजती रहती हैं। मुंबई उस वैश्विक चमक को छूना चाहती है और वह न कभी सोता है और न थमता है। हमेशा भागता है, हमेशा ऊपर उठने को...