Norway

  • उनके, हमारे जीने का फर्क

    बाल कल्याण एजेंसी का आरोप था कि सागरिका अपने बच्चों की परवरिश करने के लायक़ सही माँ नहीं है। क्योंकि वह अपने छ महीने की बेटी और चार साल के बेटे को छुरी-काँटे से नहीं बल्कि हाथों से ख़ाना खिलाती है। उनका आरोप था कि शरारत कर रहे अपने बच्चे को सागरिका डाँटती है और उसे थप्पड़ भी दिखाती है। सागरिका इन बच्चों के माथे पर काला टीका (नज़रबट्टू) लगाती है। सन् 2011 में देश भर के अख़बारों में एक खबर थी। उस खबर परचौक गए थे। खबर ही ऐसी थी कि जो कोई पढ़ता अचंभित हो जाता। अब तक...