सहारे की तलाश में ‘बहुजन’ विमर्श?
एक समय “कांग्रेस और भाजपा को सांपनाथ और नागनाथ के रूप में देखने वाला ‘दलित’ विमर्श” अब इन दोनों पार्टियों के बीच ही सामाजिक न्याय, समाज सुधार और बहुजन सशक्तीकरण की संभवना तलाशने लगा है। उसका एक खेमा अब “सामाजिक रूप से भाजपा के लोकतांत्रिक बन जाने” की उम्मीद जोड़ रहा है, तो दूसरा खेमा कांग्रेस को अपनी सोच का प्रतिनिधि मानने लगा है।…आखिर क्या बदल गया है कि अब दलित-ओबीसी विमर्श के एक बड़े हिस्से में भाजपा, तो दूसरे हिस्से में कांग्रेस स्वीकार्य हो गई है। OBC Dalit Politics ‘दलित’ विमर्श के दो प्रमुख बुद्धिजीवियों के इन कथनों पर...