Palestinian state

  • पर गाजा की कहानी नहीं बदलेगी!

    यों कहानी कुछ नहीं बदलेगी। यदि कुछ बदलेगा भी तो बस इतना कि दुनिया और गहरी अनिश्चितता में धंस जाएगी। ब्रिटेन, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया  तीनों ने दुर्लभ सामंजस्यता में फ़िलीस्तीन को एक राष्ट्र के रूप में मान्यता देने की नैतिक तत्परता दिखाई है। इसकी घोषणा के समय का चुनाव, बेशक, बहुत कुछ कहता है: मान्यता उस वक़्त आई है जब ग़ाज़ा राख में बदल चुका है, जब वहां बचाने लायक़ सिर्फ़ उसकी जनता की उम्मीदों की स्मृति ही बची है। ब्रिटेन की सहानुभूति तो और भी विडंबनापूर्ण है।  ज़्यादा समय नहीं हुआ जब उसके प्रधानमंत्री ने इजराइल के इस “अधिकार”...

  • तो फ़िलिस्तीन मिट जाएगा?

    क्या होता है जब कोई राष्ट्र-राज्य मिट जाता है या मिटा दिया जाता हैं?  सामान्य जवाब है—कुछ भी नहीं। कुछ दिनों तक जरूर शोर-शराबा, टूटे दिल और एकजुटता के हैशटैग चलेगें। फिर भूलने की बीमारी आ जाती है। गायब होना स्मृति के किसी कोने में दर्ज होता जाता है। सामान्य ज्ञान की किसी एक पुस्तक, एक खंड में सिमट कर रह जाता है। राजनीति में प्रतिक्रिया थोड़ी भारी ज़रूर होती है, लेकिन उतनी ही खोखली। बड़े-बड़े शब्दों में निंदा, और उससे भी बड़े शब्दों में पलटवार। ठंडी, रोशन कमरों में गुनगुनी चाय के बीच प्रस्ताव लिखे जाते हैं, नीतियाँ बहस...