panchatatva

  • पंच महाभूतों में एक अग्नि

    प्राचीनतम ग्रंथ वेद में अग्नि अर्थात ऊर्जा का महत्त्व और उसके संरक्षण के संबंध में वृहत वर्णन प्राप्य हैं। वैदिक मत में अग्नि अर्थात ऊर्जा को वैश्वानर कहा गया है। वैश्वानर का अर्थ है- विश्व को कार्य में संलग्न रखने वाली शक्ति। इस वैश्वानर अग्नि (ऊर्जा) को सृष्टि के निर्माण में मुख्य कारक माना गया है। इस वैश्वानर अग्नि के संरक्षक के रूप में ऋग्वेद 1/1/1 में कहा गया है-अग्निमीले पुरोहितम्‌। -ऋग्वेद 1/1/1 .... अर्थात- मैं अग्नि को चाहता हूँ। उसकी उपासना करता हूँ। पंच महाभूतों में एक अग्नि अर्थात ऊर्जा मनुष्य के जीवन की एक अनिवार्य आवश्यकता है। सम्पूर्ण...