parameshvar

  • परमेश्वर सबके कर्म को देखता- सुनता है

    यह मानव का आदि सनातन मन है कि उसके मन में गलत, अधर्म, पाप, अपराध कर्म अथवा आचरण करते समय जाने -अनजाने ही ईश्वर का स्मरण अवश्य आता है, परंतु वह उसे भूलकर अथवा नकारकर अपना कर्म कर ही बैठता है। ईश्वर के सर्वत्र व्याप्त, सबकी बात को, सबके कर्म को देखने, सुनने संबंधी अर्थात परमेश्वर के यथार्थ दर्शक, यथार्थ श्रोता होने संबंधी मत को मानने वाले मानव के इस सनातन मन के समान ही वेद में भी परमेश्वर को यथार्थ श्रोता कहा गया है। व्यकित के कर्म को ईश्वर अवश्य ही देख रहा है, सुन रहा है। यह बात...