युद्ध नहीं महायुद्ध: फुले
अनंत महादेवन और लेखक मुअज्जम बेग की कहानी कहने की ईमानदारी की सराहना की जा सकती है, लेकिन कई स्थानों पर ये सब किसी क्लास के लेक्चर की तरह है। नायकों का कॉन्फ्लिक्ट और सेल्फ़ डाउट मुश्किल से ही आता है और फुले के विचार जीवित अनुभवों की तुलना में टेक्स्ट बुक के पाठ की तरह ज़्यादा लगते हैं। जॉय सेनगुप्ता और अमित बहल जैसे बेहतरीन अभिनेताओं के बावजूद, बात वैसी नहीं बन नहीं पाई है जिसकी संभावना थी। सिने-सोहबत आज के ‘सिने-सोहबत’ में एक ऐसी ज़रूरी फ़िल्म पर विमर्श जो दर्शकों को उनकी आरामतलबी से हटा कर झकझोरने का...