बीजेपी के पास ध्रुवीकरण के अलावा और कुछ नहीं
हालात बदलते दिखने लगे हैं। और सबसे पहले यह उस बीजेपी को दिखना शुरू हुए हैजिसका सबसे बड़ा दांव लगा है।हरियाणा में उसने अपना मुख्यमंत्री बदल दिया है। उससे पहले जिस नागरिकताकानून को ठंडे बस्ते में डाल रखा था उसे अचानक निकाल कर लागू कर दिया। जिन गाली देने वालों को खूब आगे बढ़ाते थे उन रमेश बिधुड़ी, प्रज्ञा सिंहका टिकट काट दिया। मोदी अपने तीसरे टर्म के लिए कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। हालांकि उनके तरकशमें तीर केवल एक ही है। सांप्रदायिक ध्रुविकरण का। उसी को बार बार वह औरचमका कर नुकीला कर के आजमाते हैं। मगर कहते हैं कि...