Polarization

  • बिहार में ध्रुवीकरण की जरुरत नहीं

    हिंदी पट्टी के राज्यों में बिहार संभवतः एकमात्र राज्य है, जहां चुनाव में सांप्रदायिक ध्रुवीकरण का मुद्दा काम नहीं करता है। इसके ऐतिहासिक सामाजिक, आर्थिक कारण हैं। बिहार के मतदाताओं ने सिर्फ एक बार भाजपा को अकेले जीत दिलाई और वह चुनाव था 2014 का। लेकिन उसमें भी एक कारण यह था कि नीतीश कुमार अकेले लड़ रहे थे। तभी लालू प्रसाद की पार्टी और कांग्रेस मिल कर भाजपा को नहीं रोक पाए। परंतु भाजपा की वह जीत भी सांप्रदायिक ध्रुवीकरण का नतीजा नहीं था। वह कांग्रेस सरकार पर लगे भ्रष्टाचार के आरोप और नरेंद्र मोदी की ओर से प्रचारित...

  • बिहार में उत्तर प्रदेश स्टाइल में ध्रुवीकरण

    भारतीय जनता पार्टी बिहार के विधानसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश या गुजरात स्टाइल में ध्रुवीकऱण की राजनीति साधना चाहती है। हालांकि, नीतीश कुमार अब तक इस तरह की राजनीति का विरोध करते रहे हैं लेकिन ऐसा लग रहा है कि नीतीश को भी भाजपा ने इस राजनीति में शामिल कर लिया है। अभी तक कहा नहीं गया है लेकिन जानकार सूत्रों का कहना है कि 80 और 20 का चुनाव बनाने का प्रयास बिहार में भी हो रहा है। पिछले दिनों नीतीश कुमार मुस्लिमों के एक बड़े इदारे इमारत ए शरिया के कार्यक्रम में गए थे, जहां उन्होंने मौलानाओं के...