ध्रुवीकरण और अज्ञान
भारतीय समाज अभी ऐसे दुश्चक्र में फंसा हुआ है, जब राजनीतिक जनमत तथ्य और तर्क से नहीं, बल्कि बनाई या थोपी गई निराधार धारणाओं से तय हो रहा है। एक हालिया सर्वे का यही निष्कर्ष है। तमाम समाजों के अनुभवों से यह साफ हो चुका है कि राजनीतिक ध्रुवीकरण का सामूहिक अज्ञान से करीबी रिश्ता है। ये दोनों पहलू एक दूसरे के लिए खाद-पानी का काम करते हैं। इनमें किससे किसकी शुरुआत होती है, यह कहना कठिन है। लेकिन एक बार जब दोनों परिघटनाएं समाज पर हावी हो जाती हैं, तो फिर वे एक-दूसरी जमीन मजबूत करने लगती हैं। उस...