बिहार में ध्रुवीकरण की जरुरत नहीं
हिंदी पट्टी के राज्यों में बिहार संभवतः एकमात्र राज्य है, जहां चुनाव में सांप्रदायिक ध्रुवीकरण का मुद्दा काम नहीं करता है। इसके ऐतिहासिक सामाजिक, आर्थिक कारण हैं। बिहार के मतदाताओं ने सिर्फ एक बार भाजपा को अकेले जीत दिलाई और वह चुनाव था 2014 का। लेकिन उसमें भी एक कारण यह था कि नीतीश कुमार अकेले लड़ रहे थे। तभी लालू प्रसाद की पार्टी और कांग्रेस मिल कर भाजपा को नहीं रोक पाए। परंतु भाजपा की वह जीत भी सांप्रदायिक ध्रुवीकरण का नतीजा नहीं था। वह कांग्रेस सरकार पर लगे भ्रष्टाचार के आरोप और नरेंद्र मोदी की ओर से प्रचारित...