Political crises

  • ‘‘उलझी है सारी सियासत, चुनावी जाल में”…!

    भोपाल। आज देश व देशवासियों के हालात देखकर मुझे आज से करीब छः दशक पहले की फिल्म ‘मदर इण्डिया’ के एक प्रसिद्ध व लोकप्रिय गीत की कुछ पंक्तियां याद आ रही है, जिसमें आज की भविष्यवाणी करते हुए लिखा गया था- ‘‘जीवन का गीत है सुर में न ताल में, उलझी है सारी दुनियां रोटी के जाल में’’, अन्तर सिर्फ इतना हो गया है कि आज दुनिया रोटी के नहीं सियासत के जाल में उलझी नजर आ रही है, किंतु इस गीत की पहली पंक्ति ‘‘जीवन का गीत है, सुर में न ताल में’’ आज भी अक्षरशः अवतरित हो रहा...