नेताओं का ऐसा बोलना शर्मनाक
एक समय था जब नेता अपने क्षेत्र की जनता को सर-आँखों पर बिठा कर रखते थे। उनकी हर छोटी-बड़ी समस्या का हल निकालने के लिए हर कदम उठाते थे। अपने क्षेत्र के वोटर के ख़ुशी और ग़म में भी परिवार की तरह ही शामिल हुआ करते थे। परंतु आजकल कुछ नेताओं को छोड़ कर ऐसे नेता आपको ढूँढे नहीं मिलेंगे।..अब मतदाताओं को सुनना पड रहा है कि, ‘आपने वोट दिया इसका मतलब यह नहीं है कि आप मेरे मालिक हैं। क्या आपने मुझे अपना नौकर बना लिया है?” चुनावी सभा हो या संसद सदन जब भी नेताओं के बोल बिगड़ते...